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एनसीआऱ डेस्क: उत्तर प्रदेश के जेवर में बन रहा नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट अब अपने संचालन की ओर एक कदम और आगे बढ़ चुका है. आp इस एयरपोर्ट पर पहली कैलिब्रेशन फ्लाइट सफलतापूर्वक लैंड हुई. यह वही टेस्ट फ्लाइट होती है जो जांचती है कि एयरपोर्ट के सारे टेक्निकल सिस्टम, रनवे और सुरक्षा व्यवस्थाएं अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरे उतरते हैं या नहीं. दो दिन तक चली इस ट्रायल फ्लाइट पर केंद्रीय नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) की टीम की कड़ी निगरानी रही थी. इस दौरान टीम ने एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC), नेविगेशन उपकरण, कम्युनिकेशन सिस्टम और रनवे सुरक्षा को अलग-अलग ऊंचाइयों और दिशाओं से परखा. टेस्ट का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि कोई भी तकनीकी खामी बाकी न रह जाए.
नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (NIAL) के सीईओ आर. के. सिंह ने बताया कि यह कैलिब्रेशन फ्लाइट रोज़ करीब दो घंटे की होगी. जब इसके सभी परीक्षण सफल हो जाएंगे, तब DGCA एयरपोर्ट को एरोड्रोम लाइसेंस जारी करेगा. यह लाइसेंस मिलने के बाद एयरपोर्ट औपचारिक रूप से उड़ान संचालन शुरू कर सकेगा. शुरुआत में केवल घरेलू उड़ानें चलाई जाएंगी, जबकि कुछ महीनों बाद अंतरराष्ट्रीय उड़ानें भी शुरू करने की योजना है. अधिकारियों के अनुसार, एयरपोर्ट की निर्माण गति और तकनीकी तैयारियों को देखते हुए उद्घाटन 2025 के अंत तक संभव है. उत्तर प्रदेश सरकार ने इस एयरपोर्ट को देश का सबसे आधुनिक एविएशन हब बनाने की दिशा में तेजी से काम किया है. एयरपोर्ट को सीधे यमुना एक्सप्रेसवे से जोड़ा गया है, जिससे नोएडा, आगरा और मथुरा तक की पहुंच आसान हो गई है. इसके साथ ही दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे का बल्लभगढ़ लिंक रोड भी जल्द तैयार होगा. जो दिल्ली और हरियाणा से एयरपोर्ट पहुंचने को और तेज़ बना देगा.
विशेषज्ञों का मानना है कि जेवर एयरपोर्ट न केवल दिल्ली-एनसीआर बल्कि पूरे उत्तर भारत के एविएशन सेक्टर में नई ऊर्जा लाएगा. इससे दिल्ली IGI एयरपोर्ट पर दबाव कम होगा और आसपास के इलाकों में रोजगार और कारोबार के नए अवसर पैदा होंगे. नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (जेवर) पर पहली सफल कैलिब्रेशन फ्लाइट इस बात का संकेत है कि अब एयरपोर्ट ऑपरेशन शुरू होने के बिल्कुल करीब है. यह उत्तर भारत के विमानन क्षेत्र का सबसे बड़ा विस्तार माना जा रहा है. हजारों स्थानीय युवाओं को रोजगार और पूरे क्षेत्र को नई पहचान मिलने की उम्मीद है.