राजनाथ सिंह बोले, सेना ने आतंकियों का किया सफाया, पाक की सेना घुटनों पर

Fourth Pillar Desk

लखनऊ: रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने लखनऊ में डॉ. केएनएस मेमोरियल अस्पताल के कार्यक्रम में कहा कि हम सीमा पार आतंकियों का इलाज करते हैं। एक महीने पहले इस कार्यक्रम में आने की सहमति दी थी। परिस्थितियों की वजह से लग नहीं रहा था कि आना संभव होगा। आतंकवाद के खिलाफ हमारी सेना ने बड़ी संख्या में आतंकवादियों का सफाया किया। सेना ने कुशल सर्जन की तरह काम किया है। बड़ी सटीकता के साथ आतंकवाद की जड़ पर प्रहार किया है और पाकिस्तान की सेना को घुटनों पर ला दिया। सेना ने सिर्फ आतंकवाद पर प्रहार किया।। नागरिक क्षेत्रों में स्ट्राइक नहीं की। सैनिक और डॉक्टर समान हैं। दोनों नागरिक की रक्षा करते हैं। उनका समर्पण और सेवा वंदनीय है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आज एक अलग सी अनुभूति पीड़ा और वेदना के साथ हो रही है। 25 साल पहले इस केएनएस अस्पताल की शुरुआत करते हुए डॉ के एम सिंह से प्रभावित हुआ था। आज पच्चीस साल बाद उनका सपना साकार हो रहा है। अमेरिका में वे अच्छा जीवन जी रहे थे पर उन्होंने सेवा का पेशा चुना और ब्रेन ड्रेन नहीं ब्रेन गेन का उदाहरण पेश किया। 1997 में उनकी मां का देहान्त इलाज के अभावों में हो गया। व्यक्तिगत दुख कई लोगों को तोड़ देता है। डॉ सिंह ने दिखाया कि इसे प्रेरणा के रूप में लिया जा सकता है। रक्षामंत्री ने कहा कि जीवन शैली की वजह से कई बीमारियां पैदा हो रही हैं। हमें सोचना होगा। भारत डायबिटीज के मरीजों की राजधानी बन गया है। यहां 10 करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं। उन्होंने कहा कि डॉक्टर ही हमारे असली नायक हैं जिन्हें जीवन बचाने की शक्ति मिली हुई है। डॉक्टरों ने कोरोना के समय योगदान दिया। हमें उनका धन्यवाद देना चाहिए।

रक्षा मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान ने भारत की जमीन पर हमले के प्रयास प्रारंभ किए। आम नागरिकों, मंदिरों, गुरुद्वारों व गिरजाघरों को निशाना बनाया गया। उसके जवाब में भारतीय सेना की कार्रवाई ने पाकिस्तान की फौज को घुटनों पर लाकर खड़ा कर दिया। हमने पूरा ध्यान रखा कि पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर भी प्रहार किया जाए, जहां सिविलियंस रहते हैं, वहां अटैक नहीं होना चाहिए। रक्षा मंत्री ने कहा कि भारतीय सेनाओं ने कुशल सर्जन की भांति ऑपरेशन किया है। सैनिक और डॉक्टर के काम-प्रतिबद्धता में काफी समानताएं हैं। दोनों ही आम आदमी की रक्षा करते हैं। एक स्वास्थ्य तो दूसरा राष्ट्र की रक्षा करता है। दोनों का अनुशासन व ट्रेनिंग बड़ी कठोर होती है। दोनों को बड़ी नाजुक परिस्थिति में बड़े निर्णय लेने पड़ते हैं। दोनों ही इमरजेंसी के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेनाओं के पराक्रम को देश ने देखा तो कोरोना के दौरान डॉक्टर-सर्जन के साहस व प्रतिबद्धता को। सैनिकों की भांति डॉक्टर भी ड्यूटी, साहस व देश-समाज की सेवा के लिए जाने जाते हैं।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि 12 मई 2000 को मैंने ही इस हॉस्पिटल का उद्घाटन किया था। डॉ. केएन सिंह की आंखों में जो सपना, विजन, उद्देश्य देखा था, वह आज हकीकत बन चुका है। भारतीय टैलेंट देश से बाहर जाकर प्रतिभा दिखा रही है, लेकिन डॉ. सिंह युनाइटेड स्टेट से वापस भारत आए और ब्रेन गेन के मिसाल बने। रक्षा मंत्री ने बताया कि 1997 में उनकी मां को हृदयाघात आया। समय पर पर्याप्त चिकित्सा सुविधा न मिलने के कारण वे अपनी मां को खो बैठे। उस क्षण ने उनकी दिशा बदल दी। डॉ. सिंह ने ठान लिया कि इलाज के अभाव में किसी को खोना न पड़े। व्यक्तिगत क्षति अक्सर कड़वाहट पैदा कर देती है और उन्हें निराशावादी भी बना देती है, लेकिन डॉ. सिंह जैसे लोग दिखाते हैं कि इन्हीं दुखों को नई चेतना, नई दिशा व नई प्रेरणा में बदला जा सकता है। रक्षा मंत्री ने लखनऊ, आजमगढ़ व अंबेडकर नगर में डॉ. सिंह द्वारा किए गए प्रयासों को भी उजागर किया।

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