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यूपी डेस्क: उत्तर प्रदेश पुलिस का अगला मुखिया कौन होगा? यह सवाल इस समय राज्य की नौकरशाही से लेकर राजनीतिक गलियारों तक चर्चा का विषय बना हुआ है. वर्तमान में कार्यवाहक डीजीपी प्रशांत कुमार 31 मई 2025 को रिटायर हो रहे हैं. प्रशांत कुमार लंबे समय से प्रदेश की कानून-व्यवस्था को संभालते रहे हैं और अब उनके स्थान पर किसे यूपी पुलिस की कमान सौंपी जाएगी, इस पर अटकलों का दौर जारी है. राज्य सरकार के पास यह विकल्प भी है कि प्रशांत कुमार को कुछ समय के लिए सेवा विस्तार दिया जाए. यह संभावना इसलिए भी प्रबल मानी जा रही है क्योंकि सरकार ने अभी तक डीजीपी की नियुक्ति के लिए न तो केंद्र सरकार को पैनल भेजा है और न ही नई चयन समिति का गठन किया है. प्रशांत कुमार के रिटायरमेंट के बाद जिन अफसरों के नाम पर चर्चा हो रही है, उनमें सबसे वरिष्ठ आईपीएस :-
- संदीप साळुंके (बैच 1990) वर्तमान में डीजी मानवाधिकार के पद पर हैं
- दलजीत चौधरी (1990 बैच): वर्तमान में बीएसएफ में डीजी हैं.
- रेणुका मिश्रा (1990 बैच): पेपर लीक प्रकरण के बाद सरकार की पसंद से बाहर मानी जा रही हैं.
- एमके विशाल (1990 बैच): वर्तमान में यूपी पॉवर कॉरपोरेशन में तैनात हैं.
- तिलोत्मा वर्मा (1990 बैच): वरिष्ठता सूची में हैं लेकिन चर्चा में कम.
- आलोक शर्मा (1991 बैच): एसपीजी में डीजी हैं.
- दीपेश जुनेजा (1992 बैच): वर्तमान में डीजी प्रॉसीक्यूशन हैं.
कार्यवाहक डीजीपी से ही चलेगा काम या फिर मिलेगा कोई फुल टाइम डीजीपी? यह सवाल भी उतना ही अहम है, क्योंकि मई 2022 से ही उत्तर प्रदेश में पूर्णकालिक डीजीपी नहीं है. 11 मई 2022 को मुकुल गोयल को हटाए जाने के बाद से राज्य में केवल कार्यवाहक डीजीपी की परंपरा चल रही है. सरकार ने स्थायी डीजीपी की नियुक्ति को लेकर अब तक कोई स्पष्ट कदम नहीं उठाया है.
बता दें कि उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने हाल ही में डीजीपी चयन की प्रक्रिया को लेकर एक नई नियमावली पास की है. इसके अनुसार हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक पांच सदस्यीय समिति गठित की जाएगी, जिसमें यूपीएससी और यूपीपीएससी के सदस्य, प्रमुख सचिव गृह और पूर्व डीजीपी शामिल होंगे. लेकिन आश्चर्यजनक रूप से अब तक इस समिति का गठन नहीं हो पाया है. अब जबकि प्रशांत कुमार की रिटायरमेंट में महज कुछ ही दिन बचे हैं, माना जा रहा है कि फैसला अंतिम दिन यानी 31 मई को ही सार्वजनिक किया जाएगा. या तो किसी वरिष्ठ आईपीएस को कार्यवाहक डीजीपी बना दिया जाएगा या फिर सेवा विस्तार का रास्ता अपनाया जाएगा. स्थायी डीजीपी की नियुक्ति तब तक टल सकती है जब तक नई चयन समिति औपचारिक रूप से काम शुरू नहीं करती.