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यूपी डेस्क: कौशांबी के लोहंदा गांव से आज सियासत और समाज के बीच टकराव की एक नई तस्वीर सामने आई है. कथित रेप पीड़िता के परिवार से मिलने पहुँचे समाजवादी पार्टी के डेलिगेशन को असहज स्थिति का सामना करना पड़ा, जब गांव के ही पाल समाज के एक युवक ने सपा प्रतिनिधिमंडल से तीखा सवाल पूछ लिया.
डेलिगेशन में शामिल कानपुर के पूर्व सांसद राजाराम पाल पीड़िता के परिजनों से बातचीत कर रहे थे, तभी वहां मौजूद एक युवक ने अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी के रुख पर सवाल उठा दिया. युवक का कहना था कि पहले अखिलेश यादव यह स्पष्ट करें कि वह किसके साथ हैं – पीड़ित पाल समाज की बच्ची के साथ या फिर ब्राह्मण परिवार के साथ.
युवक ने कहा, “ये दोमुंही राजनीति अब नहीं चलेगी. अगर आप हमारे साथ नहीं हैं, तो हमारे समाज को आपकी ज़रूरत नहीं है. फिर हम खुद ही निर्णय करेंगे, चाहे मरना पड़े या मारना.” इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जहाँ लोग सपा के भ्रमित स्टैंड को लेकर सवाल उठा रहे हैं. एक ओर पूर्व सांसद राजाराम पाल घटना को अत्याचार और साजिश बता रहे हैं, वहीं सपा के कुछ नेता ब्राह्मण परिवार के पक्ष में खड़े नजर आ रहे हैं.
ऐसे में समाजवादी पार्टी की नीति और नेतृत्व पर सवाल उठने लगे हैं. क्या पार्टी वाकई इंसाफ़ चाहती है, या फिर समाजों के बीच बैलेंस साधने की राजनीति कर रही है? यह टकराव केवल सियासत का नहीं, समाज की भावनाओं का भी है और ऐसे में राजनीतिक दलों की जवाबदेही और स्पष्टता पहले से कहीं ज्यादा ज़रूरी हो गई है.