64 करोड़ की रिश्वत के मामले में चंदा कोचर दोषी करार, ईडी की कार्रवाई जारी रहेगी

Fourth Pillar Live

नई दिल्ली डेस्क: वीडियोकॉन ग्रुप से जुड़े भ्रष्टाचार मामले में अपीलीय न्यायाधिकरण ने आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ और एमडी चंदा कोचर को मनी लॉन्ड्रिंग का दोषी माना है। न्यायाधिकरण ने कहा है कि चंदा और उनके पति दीपक कोचर के खिलाफ ”प्रथम दृष्टया” मनी लॉन्ड्रिंग का मामला बनता है। न्यायाधिकरण ने दंपती के करोड़ों रुपये मूल्य के मुंबई स्थित फ्लैट को कुर्क करने के ईडी के 2020 के आदेश को भी बरकरार रखा। न्यायाधिकरण ने हाल ही में दिए आदेश में कहा कि चंदा के खिलाफ ईडी द्वारा लगाए गए ”क्विड प्रो क्वो” (लेन-देन के बदले लाभ) के आरोप में दम नजर आता है। आईसीआईसीआई बैंक की ओर से वीडियोकॉन ग्रुप को 300 करोड़ रुपये का लोन स्वीकृत करना नियम विरुद्ध था। कानूनी संदर्भ में ”क्विड प्रो क्वो” का अर्थ रिश्वतखोरी के मामलों में किया जाता है।

आरोप है कि वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (वीआइईएल) को 300 करोड़ रुपये के लोन की स्वीकृति दी गई थी। इसके बाद वीडियोकॉन समूह ने एनआरपीएल को 64 करोड़ रुपये दिए। एनआरपीएल चंदा कोचर के पति दीपक कोचर की कंपनी है। लोन को आईसीआईसीआई बैंक की समिति ने जून 2009 से अक्टूबर 2011 के बीच स्वीकृत किया था। चंदा कंपनी की एमडी और सीईओ होने के साथ ही इस समिति की सदस्य भी थीं।

न्यायाधिकरण ने कहा, प्रथम दृष्टया प्रतिवादियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला बनता है। दीपक कोचर और वीडियोकॉन ग्रुप की कंपनियों के काम में घालमेल था। न्यायाधिकरण ने चंदा की इस दलील को खारिज कर दिया कि उन्हें अपने पति के व्यावसायिक मामलों की जानकारी नहीं थी। 82 पृष्ठ के आदेश में कहा गया है कि चंदा से बैंक के नियमों के अनुसार आचरण की अपेक्षा थी। वह इस मामले में अनभिज्ञता का दावा नहीं कर सकतीं। आईसीआईसीआई बैंक की ओर से वीडियोकॉन ग्रुप को 300 करोड़ रुपये का लोन स्वीकृत करना नियमों के विरुद्ध था।

न्यायाधिकरण ने कहा कि फ्लैट को उपरोक्त 64 करोड़ रुपये के ”डायवर्टेड” फंड से खरीदा गया था। इसलिए ईडी ने इसे अपराध की आय बताते हुए जब्त कर लिया। ईडी की कार्रवाई को बरकरार रखते हुए अपीलीय न्यायाधिकरण ने कहा, 10.5 लाख रुपये के अलावा अन्य संपत्तियों के लिए 10 जनवरी 2020 के अनंतिम कुर्की आदेश की पुष्टि की जाती है। ईडी ने सीबीआई की प्राथमिकी के आधार पर मामला दर्ज किया था। ईडी का दावा है कि चंदा कोचर ने लोन की राशि को मंजूरी देते समय अपने पद का दुरुपयोग कर आईसीआईसीआई बैंक को धोखा देने के लिए आपराधिक साजिश रची। चंदा ने वीडियोकॉन समूह के प्रमोटर वीएन धूत के माध्यम से अपने पति के लिए अवैध लाभ प्राप्त किया।

ईडी ने जनवरी 2020 में मुंबई के चर्चगेट स्थित सीसीआई चैंबर्स में स्थित कोचर के फ्लैट नंबर 45 को अस्थायी रूप से कुर्क किया था, जो एनआरपीएल की संपत्ति है। केंद्रीय एजेंसी ने दीपक की एक अन्य कंपनी में छापे के दौरान 10.5 लाख रुपये नकद भी जब्त किए थे। मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) की न्यायाधिकरण प्राधिकरण ने कुर्क करने के ईडी के फैसले की पुष्टि करने से नवंबर 2020 में इन्कार कर दिया था। इस कारण ईडी ने अपीलीय न्यायाधिकरण में अपील की। पीठ ने कहा, हमें ईडी आदेश में कुछ अवैध नहीं दिखता, बल्कि मामले से संबंधित सभी मुद्दों पर न्यायाधिकरण के निष्कर्ष गलत लगते हैं। न्यायाधिकरण ने चंदा की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि वीडियोकॉन ग्रुप को लोन स्वीकृत करने का निर्णय उनकी ओर से नहीं बल्कि समिति की ओर से लिया गया था। इसलिए लोन की मंजूरी और वीडियोकॉन ग्रुप की ओर से 64 करोड़ रुपये दिए जाने के बीच कोई संबंध नहीं था।

 

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