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यूपी डेस्क: लोकसभा चुनाव संपन्न हुए एक साल से अधिक समय बीत गया, लेकिन कई दलों ने अपने चुनाव खर्च का ब्यौरा अब तक चुनाव आयोग को नहीं भेजा है. इसे लेकर चुनाव आयोग भी अब एक्टिव मोड में आ गया है. उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने सूबे की ऐसी 127 पार्टियों को नोटिस भेजा है. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत नोटिस भेजकर पिछले तीन वर्ष के खाते मांगे हैं, जिनका ऑडिट हो चुका हो. यूपी के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने इन 127 दलों को लोकसभा चुनाव के खर्च का ब्यौरा नहीं देने के लिए कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है. यह नोटिस 19 भारत निर्वाचन आयोग की ओर से 19 सितंबर को जारी गाइडलाइन के मुताबिक जारी किया गया है.
राजनीतिक दलों से इस नोटिस का जवाब 3 अक्टूबर तक यूपी के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय में जमा करने के लिए कहा गया है. ऐसे मामलों में मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने सुनवाई के लिए तारीख भी तय कर दी है. 6, 7, 8 और 9 अक्टूबर को सुनवाई होगी. नोटिस में यह भी उल्लेख किया गया है कि तय समय में किसी राजनीतिक दल ने जवाब नहीं दिया, तो यह मान लिया जाएगा कि संबंधित पार्टी को कुछ नहीं कहना है. जिन दलों को नोटिस जारी किया गया है, उनमें मऊ जिले के पते पर रजिस्टर्ड आजाद समाज पार्टी, विकास इंसाफ पार्टी, विश्व मानव समाज कल्याण परिषद, वतन जनता पार्टी जैसे दल शामिल हैं.
बता दें कि विधानसभा चुनाव के खर्च की जानकारी राजनीतिक दलों को 75 दिन के भीतर देनी होती है. लोकसभा चुनाव के मामले में खर्च की जानकारी देने के लिए राजनीतिक दलों को 90 दिन का समय मिलता है. 2024 में हुए लोकसभा चुनाव के नतीजे 4 जून को आ गए थे. चुनाव प्रक्रिया पूरी हुए 15 महीने से ज्यादा का वक्त गुजर चुका है, लेकिन यूपी के ही इन सौ से ज्यादा दलों ने अपने चुनाव खर्च का हिसाब चुनाव आयोग को अब तक नहीं दिया है.