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यूपी डेस्क: प्रदेश में भले ही दो दशक से कोई नक्सली घटना नहीं हुई है पर कई जिलों में माओवादियों की जड़ें अब भी हैं। आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) ने सोनभद्र से गिरफ्तार किए गए झारखंड के पांच लाख रुपये के इनामी माओवादी उमेश खेरवार उर्फ नगीना उर्फ डॉक्टर के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया है। उसके पास से नाइन एमएम पिस्टल व .32 बोर की रिवाल्वर, इंसास व एसएलआर राइफल के कारतूसों समेत अन्य अलग-अलग बोर के कई कारतूस, एक लाख रुपये, मोबाइल व 10 सिम बरामद हुए हैं। बरामद दोनों असलहे विदेशी हैं। एटीएस ने नगीना को लखनऊ स्थित विशेष कोर्ट में पेश कर आठ दिनों की पुलिस रिमांड हासिल की है।
एटीएस के अनुसार, नगीना के पास से बरामद रकम ठेकेदारों से वसूली गई थी। नगीना के पकड़े जाने के दौरान उसका साथी दस लाख का इनामी माओवादी शशिकांत गंझू उर्फ आरिज जी उर्फ सुदेश जी भाग निकला। वह प्रतिबंधित माओवादी संगठन टीएसपीसी का जाेनल कमांडर है। दोनों माओवादी सोमवार सुबह बाइक से सोनभद्र में शरण लेने आ रहे थे। इसकी सूचना पर एटीएस ने उनकी घेराबंदी की थी। दोनों झारखंड के पलामू में तीन सितंबर को पुलिस से हुई मुठभेड़ में शामिल थे। इस घटना में दो जवान बलिदान हुए थे। सूत्रों के कहना है कि नगीना सोनभद्र में अक्सर अपने करीबियों के यहां शरण लेता रहा है। उसका मददगार एक रिश्तेदार भी है। आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) इसे लेकर गहनता से छानबीन कर रहा है। माओवादियों के लिए फंडिंग का भी संदेह है। उसकी प्रदेश में गतिविधियों को लेकर पड़ताल जारी है।
प्रदेश में बीते कुछ वर्षाें में माओवादियों की गतिविधियां सामने आती रही हैं। दो वर्ष पूर्व एटीएस ने बलिया के सहतवार थाना क्षेत्र स्थित बसंतपुर गांव से तारा देवी, लल्लू राम, सत्य प्रकाश वर्मा, राम मूरत राजभर व विनोद साहनी को गिरफ्तार किया था। सभी बलिया के निवासी थे और एक खास मीटिंग के लिए एकत्रित हुए थे। जांच में सामने आया था कि देश में सशस्त्र विद्रोह खड़ा करने का षड्यंत्र रचा जा रहा था। इनमें एक माओवादी के पास से नाइन एमएम पिस्टल भी बरामद हुई थी। पकड़ी गई तारा देवी उर्फ मंजू उर्फ मनीषा वर्ष 2005 में माओवादियों से जुड़ी थी और बिहार में हुई बहुचर्चित मधुबन बैंक डकैती में शामिल रही थी। प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) की बढ़ती गतिविधियों को लेकर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने भी पड़ताल शुरू की थी। एनआईए ने वाराणसी व प्रयागराज समेत पांच जिलों में सीपीआई (माओवादी) से जुड़े नौ लोगों के ठिकानों पर छापेमारी की थी। जांच एजेंसियों इनके नेटवर्क को लगातार भेदती रहती हैं, जिससे माओवादियों के मददगारों पर भी शिकंजा कसा जा सके।