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यूपी डेस्क: वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के 29वें दीक्षांत समारोह में उस समय अजीब स्थिति बन गई जब लाइट कट जाने के कारण राज्यपाल/कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल को तीन छात्रों को अंधेरे में ही गोल्ड मेडल देने पड़े. यह वाकया समारोह का सबसे चर्चित हिस्सा बन गया. गवर्नर आनंदीबेन पटेल ने अपने संबोधन में विश्वविद्यालय प्रशासन की जमकर खिंचाई की. उन्होंने कहा कि योजनाएं तो बनती हैं, लेकिन धरातल पर कुछ पूरा नहीं होता. पीएम उषा योजना और केंद्र सरकार की अन्य मदों से करोड़ों रुपये मिलने के बावजूद कैंपस में विकास कार्य ठप हैं. उन्होंने सवाल उठाया कि इतने बड़े अनुदान के बाद भी यहां सन्नाटा क्यों है, इसका जवाब प्रशासन के पास नहीं है.
राज्यपाल ने विशेष रूप से निर्माण कार्यों की धीमी रफ्तार और लापरवाही पर नाराजगी जताई. उन्होंने बताया कि 2018 से निर्माणाधीन 13 भवन आज तक अधूरे हैं. चार मंजिला मूल्यांकन भवन का काम भी वर्षों से अधूरा पड़ा है. इस काम की जिम्मेदारी संभाल रही जल निगम कंपनी पर उन्होंने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि अब इसके खिलाफ कार्रवाई तय है. समारोह के दौरान गवर्नर ने विश्वविद्यालय परिसर में शराब और ड्रग्स की संभावना पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि कई विश्वविद्यालयों में इस तरह की शिकायतें मिली हैं, यहां भी इसकी जांच जरूरी है.
गवर्नर ने मौके पर ही अपनी टीम को छात्रावासों और भवनों की हकीकत जानने भेजा. जांच में सामने आया कि महात्मा ज्योतिबा फुले छात्रावास के 204 कमरे छात्रों को देने के बजाय बाहर से आए सुरक्षाकर्मियों को आवंटित किए गए हैं और उनसे शुल्क भी लिया जा रहा है. इस पर उन्होंने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि छात्रों के लिए बने कमरे कर्मचारियों को देना शिक्षा संस्थान की मूल भावना के खिलाफ है. दीक्षांत समारोह में जहां कुलपति विश्वविद्यालय की उपलब्धियां गिना रही थीं, वहीं राज्यपाल के सख्त तेवरों ने प्रशासन की पोल खोल दी.