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नई दिल्ली डेस्क: दिल्ली हाई कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को मंगलवार को एक अंतिम और आखिरी मौका दिया है. यह मौका मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दी गई जमानत को चुनौती देने वाली अपनी याचिका पर दलीलें पेश करने के लिए दिया गया है. यह याचिका दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले से संबंधित है. बेंच ने यह आदेश ED का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) के सुप्रीम कोर्ट में व्यस्त होने के कारण पारित किया.
दिल्ली आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं से उपजे धन शोधन मामले में ट्रायल कोर्ट ने केजरीवाल को 20 जून को जमानत दी थी. इसके अगले ही दिन, ED ने हाई कोर्ट का रुख किया था. एजेंसी ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को ‘विकृत’, ‘एकतरफा’ और ‘असंगत तथ्यों’ पर आधारित बताया था. एजेंसी ने यह भी तर्क दिया कि निचली अदालत जांच के दौरान जुटाए गए सबूतों पर ठीक से विचार करने में विफल रही.
केजरीवाल ने अपने जवाब में केंद्रीय एजेंसी की कार्रवाई को राजनीतिक रूप से प्रेरित और ‘विच-हंट’ का हिस्सा बताया. उन्होंने तर्क दिया कि ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई जमानत को रद्द करना ‘न्याय का घोर गर्भपात’ (Grave Miscarriage of Justice) माना जाएगा. हाई कोर्ट ने पिछले साल 25 जून को ट्रायल कोर्ट के जमानत आदेश पर रोक लगाते हुए यह टिप्पणी की थी कि निचली अदालत में ED को जमानत के खिलाफ दलीलें पेश करने का पर्याप्त मौका नहीं दिया गया था. हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “ASG के आज सुप्रीम कोर्ट में व्यस्त होने की वजह से उपलब्ध न होने पर विचार करते हुए, न्याय के हित में, याचिकाकर्ता विभाग को अपनी दलीलें प्रस्तुत करने का अंतिम और आखिरी मौका दिया जाता है.”