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नई दिल्ली डेस्क: दिल्ली धमाके में जान गंवाने वाले 10 में से 8 लोगों की शिनाख्त हो गई है. लेकिन दिल्ली पुलिस, एनआईए समेत अन्य एजेंसियों के सामने 2 अन्य बॉडी के पहचान की चुनौती है. ये बॉडी इस हालत में हैं जहां प्रचलित तौर तरीकों की मदद से इनकी पहचान स्थापित करना लगभग असंभव सा है. एक बॉडी ऐसी है जिसका सिर ही मौजूद नहीं है. जबकि 2 सिर्फ बॉडी पार्ट्स ही है. इनमें एक पेट का हिस्सा है और दूसरी कटी उंगलियां हैं. इस आधार पर इन दो शवों की पहचान स्थापित करना असंभव सा है. जांच एजेंसियों के सामने अब DNA टेस्ट का ही विकल्प है. ताकि इन शवों की सही और वैज्ञानिक पहचान स्थापित की जा सके.
गौरतलब है कि जांच एजेंसियों ने इस ब्लास्ट के अहम किरदार डॉ उमर मोहम्मद की मां का डीएनए सैंपल लिया है ताकि इसका मिलान घटनास्थल पर मिले शव के टुकड़ों से किया जा सके. इससे ये भी सवाल उठता है कि क्या दिल्ली धमाके में आतंकी डॉ उमर मोहम्मद मारा गया है. पहले ये दावा किया गया था कि धमाके के वक्त 120 में तीन लोग सवार थे. हालांकि अब सीसीटीवी की मदद से स्पष्ट हो गया है कि ब्लास्ट के दौरान कार में डॉ उमर मोहम्मद ही था और वही कार चला रहा था. इस केस की एफआईआर के अनुसार विस्फोट इतना ज़बरदस्त था कि कार जमीन से कई फ़ीट ऊपर उछल गई और पुलिस चौकी की दीवार और छत क्षतिग्रस्त हो गई. जांच एजेंसियों को कार में कुछ शवों के अंग भी मिले हैं. इससे पुलिस के लिए पता कर पाना मुश्किल हो रहा है कि कार में बैठे शख्स की मौत हुई है, अथवा ब्लास्ट के बाद शव के टुकड़े उछलकर कार में पहुंचे हैं.
डॉ उमर मोहम्मद वही शख्स है जो फरीदाबाद में विस्फोटकों की बरामदगी के बाद फरार था और हरियाणा और जम्मू-कश्मीर पुलिस सरगर्मी से उसकी तलाश कर रही थी. ये शख्स इस धमाके का मुख्य किरदार है. पुलिस के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती ये पता लगाने की है कि क्या ये शख्स जिंदा है, क्या ये धमाके के दौरान अफरातफरी का फायदा उठाकर फाग गया, या फिर ब्लास्ट के दौरान कार में ही इसकी मौत हो गई. पुलिस की जांच के अनुसार यह भी पता चला है कि उमर फरीदाबाद में अपने साथियों की गिरफ्तारी के बारे में इंटरनेट पर अपडेट सर्च करते हुए लगभग तीन घंटे तक सुनहरी मस्जिद की पार्किंग में इंतजार करता रहा. जांच एजेंसियों ने उमर की कार का 11 घंटे का ट्रेल पता लगाने में कामयाबी हासिल की है.
अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि लाल किले के पास हुए विस्फोट की शुरुआती जांच से पता चलता है कि यह विस्फोट उस समय “गलती से” हुआ होगा जब एक अंतरराज्यीय आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ होने के बाद जल्दबाजी में बनाए गए एक्सप्लोसिव डिवाइस को ले जाया जा रहा था. जांचकर्ताओं ने पुलवामा के एक डॉक्टर उमर मोहम्मद पर ध्यान केंद्रित किया है, जो उस विस्फोट में इस्तेमाल की गई कार चला रहा था. मंगलवार को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने संबंध स्थापित करने के लिए उमर की मां से डीएनए नमूना लिया. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, “फरीदाबाद में छापेमारी के बाद संदिग्ध शायद घबरा गया था, जिसके कारण उसे जल्दबाजी में अपना स्थान बदलना पड़ा, जिससे इस मामले में एक्सीडेंट की संभावना बढ़ गई.