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यूपी डेस्क: राजधानी लखनऊ में सुभासपा अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने एक बार फिर ओबीसी आरक्षण का मुद्दा उठाकर प्रदेश की सियासत में गर्म करने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। उन्होंने भाजपा और कांग्रेस समेत तमाम राजनीतिक दलों के राष्ट्रीय अध्यक्षों को पत्र लिखकर ‘कोटे में कोटा’ पर उनके विचार मांगे हैं। ओपी राजभर ने कहा कि अब सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट लागू करने का वक्त आ गया है। सभी राजनीतिक दल इस पर अपनी राय स्पष्ट करें। राजभर ने पत्र में लिखा है कि वर्ष-2001 में हुकुम सिंह की अध्यक्षता में सामाजिक न्याय समिति का गठन हुआ था। इसमें उत्तर प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग को मिल रहे 27 फीसदी आरक्षण में बंटवारा करके पिछड़े वर्ग की वंचित जातियों को लाभ देने की सिफारिश थी।
ओम प्रकाश राजभर ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, बसपा प्रमुख मायावती, आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव, निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद और अपना दल (एस) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल को इस संबंध में पत्र लिखा है। उन्होंने कहा है कि सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट न तो लागू की गई और न ही ओबीसी आरक्षण में बंटवारा किया गया। राजभर ने सभी दलों से इस संबंध में उनकी स्पष्ट राय मांगी है।
सुभासपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण राजभर ने कहा कि पिछड़ा वर्ग की सभी जातियों को आरक्षण का लाभ दिलवाने के लिए सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट लागू करना आसान है। यह पत्र प्रदेश की राजनीति में सामाजिक न्याय की नई ललकार है। अब समय आ गया है कि सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट लागू की जाए। ओबीसी के आरक्षण में बंटवारा हो और पिछड़ा वर्ग को 7 प्रतिशत, अत्यंत पिछड़ा वर्ग को 9 प्रतिशत और सर्वाधिक पिछड़ा वर्ग को 11 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए। उन्होंने कहा कि मामला केवल रिपोर्ट की संस्तुतियां लागू करने का नहीं है। यह उस वर्ग का हक है जो अब तक विकास से वंचित रहा। अब यह अन्याय बंद होगा…। अब हक और हिस्सेदारी का दौर शुरू होगा…। अब कोई पीछे नहीं रहेगा।