पूर्व CM केजरीवाल का बंगला सरकारी गेस्ट हाउस में होगा तब्दील, दिल्ली सरकार का प्लान

Fourth Pillar Live

नई दिल्ली डेस्क: दिल्ली सरकार उस बंगले को स्टेट गेस्ट हाउस (राज्य अतिथि गृह) में बदलने की योजना बना रही है, जिसे पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए तैयार किया गया था और जो कथित भ्रष्टाचार व खर्चे के आरोपों के कारण लंबे समय तक विवादों में रहा. सरकारी अधिकारियों के मुताबिक, सिविल लाइंस स्थित फ्लैगस्टाफ रोड नंबर-6 वाला यह बंगला अब आम लोगों के लिए खुला हो सकता है. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक अधिकारियों ने बताया कि इस बंगले में जल्द ही एक कैफेटेरिया या कैंटीन खोली जाएगी, जहां पारंपरिक भारतीय व्यंजन परोसे जाएंगे, ठीक वैसे ही जैसे अन्य राज्यों के भवनों (Bhawans) में होता है. यह कैफेटेरिया आम जनता के लिए भी खुला रहेगा.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “सरकार इस बंगले को स्टेट गेस्ट हाउस के रूप में विकसित करने की योजना के अंतिम चरण में है. फिलहाल यह बंगला पूर्व मुख्यमंत्री के निवास के रूप में खाली पड़ा है. योजना के तहत यहां पार्किंग स्पेस, वेटिंग हॉल और अन्य सुविधाएं भी बनाई जाएंगी.” अधिकारी ने कहा कि जैसे अन्य राज्य अतिथि गृहों में अधिकारी और मंत्री ठहरते हैं और तय शुल्क का भुगतान करते हैं, वैसे ही इस बंगले में भी होगा. हालांकि, इस प्रस्ताव को लागू करने से पहले उच्च स्तर पर अंतिम स्वीकृति दी जानी बाकी है. फिलहाल इस बंगले की देखरेख के लिए लगभग 10 कर्मचारियों का स्टाफ तैनात है, जो रोजाना सफाई, रखरखाव और बिजली उपकरणों (जैसे फ्रिज और एसी) को चालू रखता है.

बता दें कि यह वही बंगला है जो केजरीवाल सरकार के कार्यकाल में महंगे नवीनीकरण (रेनोवेशन) को लेकर विवादों में आया था. विपक्ष, विशेष रूप से भाजपा, ने इसे ‘शीश महल’ कहकर निशाना बनाया था और कहा था कि उनकी पार्टी का मुख्यमंत्री कभी इस घर में नहीं रहेगा.2022 में उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना के निर्देश पर दिल्ली सरकार के विजिलेंस विभाग ने इस बंगले के नवीनीकरण में कथित अनियमितताओं और खर्च में वृद्धि की जांच शुरू की थी. वर्तमान में यह मामला सीबीआई (CBI) की जांच के अधीन है. यह जांच दिल्ली विधानसभा में उस समय के विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता की शिकायत पर शुरू हुई थी, जो दिसंबर 2024 में एलजी सक्सेना को सौंपी गई थी. सरकारी सूत्रों का कहना है कि बंगले को सार्वजनिक उपयोग में लाने का यह निर्णय विवाद से संपत्ति को उपयोगी बनाने की दिशा में उठाया गया कदम है.

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