मिर्जापुर के गांवों में दीपावली पर नहीं जलते दीये, पृथ्वीराज चौहान की याद में मनाते हैं शोक

Fourth Pillar Live

यूपी डेस्क: उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है. राजगढ़ इलाके के भांवा, अटारी और आस-पास के लगभग आधा दर्जन गांवों में लोग दीपावली पर दीये नहीं जलाते हैं. चौहान वंश के क्षत्रिय परिवार इस दिन शोक दिवस मनाते हैं. वे ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि उनका मानना है कि इसी दिन उनके राजा पृथ्वीराज चौहान की हत्या मुहम्मद गोरी ने की थी. शोक के कारण वे एकादशी को दीपावली मनाते हैं और घरों में रोशनी करते हैं. पूरे देश में दीपावली को रोशनी और खुशियों का पर्व माना जाता है, जहां लोग घरों को दीयों से रोशन कर मिठाई बांटते हैं. लेकिन मिर्जापुर के इन गांवों में सदियों से यह परंपरा चली आ रही है. चौहान वंश के लोग इस दिन घरों में कोई रोशनी नहीं करते. एकादशी के दिन ये परिवार दीये जलाकर और उत्साह से यह पर्व मनाते हैं, जिसे वे अपनी असली दीपावली मानते हैं.

स्थानीय नागरिक रामधनी सिंह चौहान ने इस परंपरा के पीछे का कारण बताया. उनके अनुसार, दीपावली के दिन ही उनके वंश के राजा पृथ्वीराज चौहान की मुहम्मद गोरी ने हत्या कर दी थी. तभी से चौहान वंश के लोग इस दिन को ‘शोक दिवस’ के रूप में मनाते आ रहे हैं. इस दिन वे केवल एक दीया जलाकर लक्ष्मी-गणेश की पूजा करते हैं और इसके बाद शोक मनाते हैं. रामधनी सिंह चौहान ने यह भी बताया कि वे सभी दीपावली का पर्व एकादशी के दिन मनाते हैं. उस दिन उनके घरों में भरपूर रोशनी होती है और खुशियां मनाई जाती हैं. यह परंपरा सैकड़ों सालों से चौहान वंश के घरों में चली आ रही है, जो अपने राजा की स्मृति को सम्मान देने का एक अनूठा तरीका है. यह बात बताती है कि इतिहास की यादें आज भी लोगों के जीवन को प्रभावित करती हैं.

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