ईरान से तिरंगा लेकर यूपी लौटे 48 लोग, इंडियन एंबेसी को किया सैल्यूट

Fourth Pillar Live

यूपी डेस्क: 48 जायरीनों का एक दल रविवर को ईरान से सुरक्षित लखनऊ लौटा। बीते कई दिनों से ईरान में फंसे जायरीन हाथों में तिरंगा लेकर हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारे लगाते हुए उतरे। ईरान से रविवार को लखनऊ लौटीं निशातगंज की नाज आब्दी हरदोई की पिहानी निवासी चचेरी बहन राना बेगम के साथ जियारत पर गईं थी। नाज ने बताया कि आसमान में उड़ते एयरक्राफ्ट और धमाकों की आवाज खुद सुनी है।

विकास नगर निवासी अशफाक अपनी पत्नी परवीन के साथ बस से लखनऊ पहुंचे। इन्होंने बताया कि इजराली हमलों के धमाकों की आवाज 13 जून से हफ्ते भर तक गूंजती रही। मुफ्तीगंज के मोहसिन इकबाल और पत्नी नजाकत ने बताया ईरानी लोगों ने बहुत मदद की। उन्होंने कहा कि आप इंडिया वाले हमारे मेहमान हैं। इंडियन एंबेसी ने शानदार काम किया है। पल-पल जायरीनों की खैरियत लेता रहा।

फैजाबाद की जायरीन शाहीन फात्मा लखनऊ के काफिले से जियारत पर गईं थी। उन्होंने बताया कि 20 जून को ईरानी समय रात करीब आठ बजे इमाम-ए-रजा के रौजे में जियारत कर रहे थे। तभी धमाकों की आवाज सुनाई दी। रौजा जायरीनों से भरा था, लेकिन हम सब सुरक्षित रहे। महमूदाबाद निवासी कनीज सुगरा अम्मी अच्छी बेगम और 14 बरस के बेटे मोहम्मद अब्बास के साथ रविवार को लखनऊ लौंटी। उन्हें चिंता थी कि पति मुजाबिर अब भी ईरान में हैं। परिवार वालों ने भारत सरकार और एंबेसी से गुजारिश की है कि मुजाबिर को भी जल्द वापस लाने में मदद करें। बेटे मोहम्मद ने बताया कि समान पैक करने के लिए हम तीनों के नाम का ऐलान हुआ। पापा का नाम नहीं था, तो हम सभी बेचैन हो गए। रिक्वेस्ट की कि पापा के साथ सभी आएंगे। लेकिन वहां मौजूद एंबेसी के अधिकारियों ने भरोसा दिलाया कि एक दो दिन में उन्हें भी भारत भेज दिया जाएगा।

कारवान-ए-नूर काफिले के ओनर नेहाल ने NBT को बताया कि हमारे काफिले से 96 लोग ईराक-ईरान की जियारत पर गए थे। इस्राईल-ईरान युद्द के बीच बेहद फिक्र थी कि सभी काफिले वालों को सही सलामत वतन पहुंचाना है। भारतीय एंबेसी का जितना भी शुक्रिया अदा किया जाए, कम है। पिछले चार दिन से सभी काफिले वालों से संपर्क में रहे। भीषण गोलाबारी के बीच हिंदुस्तानियों की वतन वापसी कराने पर उन सभी को सैल्यूट है।

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