प्रदूषण से जंग, सुप्रीम कोर्ट की फटकार, खाली पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू

Fourth Pillar Live

नई दिल्ली डेस्क: दिल्ली में प्रदूषण से जंग अब तेज होने वाली है। वजह, सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने अपने खाली पडे़ पदों को भरने की कोशिश और प्रक्रिया तेज कर दी है। खाली पदों में से 83 भरे भी जा चुके हैं। डीपीसीसी के अनुसार जून 2024 में डीपीसीसी के 344 पदों में से 204 खाली पडे़ थे।

इस साल जून खत्म होने तक खाली पदों की संख्या 34 प्रतिशत से कम होकर 25 प्रतिशत रह जाएगी। जून में भी डीपीसीसी अनुबंध पर कंसलटेंट की नियुक्ति कर रही है। साथ ही सिविल इंजीनियर, मैकेनिकल इंजीनियर, इलेक्ट्रिकल इंजीनियर, इलेक्ट्रानिक एंड टेलिकाम्युनिकेशन इंजीनियर आदि की भर्ती प्रक्रिया भी चल रही है। 2023 से ही एनजीटी इस मामले को देख रहा है। उस समय डीपीसीसी में दो तिहाई पोस्ट खाली थे। बीते माह भी सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में डीपीसीसी को फटकार लगाई थी। डीपीसीसी ने एक शपथ पत्र में बताया कि जुलाई 2024 से अब तक डीपसीसी की खाली पड़ी 83 पोस्ट को भरा जा चुका है। ऐसे में बीते एक साल के दौरान खाली पद 60 प्रतिशत से घटकर 34 प्रतिशत पर आ चुके हैं।

इस समय डीपीसीसी में 223 पद भरे हुए हैं। जून में भी 10 से अधिक लोगों को अपॉइंटमेंट लेटर दिए जाने की उम्मीद है। साथ ही मई 22 से 24 तक 26 खाली पदों के लिए इंटरव्यू की प्रक्रिया हो चुकी है। ऐसे में जून के अंत तक रिक्तता कम होकर 25 प्रतिशत तक रह जाएगी।मई में सुप्रीम कोर्ट ने खाली पद इस साल सितंबर तक भरने के आदेश दिए थे। कोर्ट ने कहा था कि जब दिल्ली प्रदूषण से बुरी तरह जूझ रही हो तो पदों को खाली रखने की बात बर्दाश्त नहीं की जा सकती। इसलिए सभी खाली 204 पदों को सितंबर 2025 तक भरने के आदेश दिए गए थे।मालूम हो कि दिल्ली के प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए डीपीसीसी नियामक प्राधिकरण का काम करती हैं।

यह प्रदूषण और पर्यावरण नियंत्रण से जुडे़ नियमों को लागू करती हैं। यहां के 40 एयर क्वालिटी मानिटरिंग स्टेशनों में से 24 डीपीसीसी के हैं। डीपीसीसी 31 ध्वनि प्रदूषण मानिटर मैनेज करती है। एसटीपी, यमुना आदि के पानी की क्वालिटी की जांच करती है। साथ ही डीपीसीसी औद्योगिक प्रदूषण को भी जांचती हैं और ग्रेप के नियमों की नोडल एजेंसी है। इसके अलावा स्टाफ की कमी पूरी होने से अब जनता की प्रदूषण संबंधी शिकायतों पर सुनवाई हो सकेगी। सरकार के नियमों को पूर्ण सख्ती से लागू किया जा सकेगा। साथ ही शोध व निरीक्षण कार्य को भी रफ्तार मिलेगी।

 

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